आर के पुरम मेट्रो से चंद क़दमों की दूरी पर बने ओवर ब्रिज के नीचे रहने वाले अंजान लोगों की बात.
गुज़रती सैकड़ों गाड़ियां को मंजिल पहुंचाती सड़क पर गुज़ारते रात, मांगते भीख और काटते ज़िंदगी..
आधार नहीं है निराधार हैं, बैनर तो लग गए बेगर फ्री zone, लेकिन आज भी उनकी परेशानियों को फ्री zone नहीं मिला, शायद उन्हें पता भी नहीं वो इस zone में हैं...क्या पता पढ़ भी न पाते...
हमने TV स्क्रीन पर उज्जवला योजना के लाभार्थी देखे होंगे... और इज्ज़त घर के करोड़ों आंकड़े भी...लेकिन देश की राजधानी में लकड़ियों पर बनता खाना नहीं देखा होगा...
आज जब पैदा होते बच्चों के हाथ में मोबाइल है...वही ये बेख़बर है उस चमकती धमकती आभासी दुनिया से...कलम तो जानते होंगे...कलाम नहीं...शायद मागने को ही जीवन मानते होंगे...अंजान में ही..
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Story By : Sachin Samar ADPR IIMC, Aman Jaiswal DM IIMC
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